प्रेम शंकर रघुवंशी
जन्म : 7 जनवरी 1936 को बैंगनिया (सतपुड़ांचल के एक देहात) में।
प्रकाशित रचनाएँ-
कविता संग्रह: आकार लेती यात्राएं, पहाड़ों के बीच, देखो सांप : तक्षक नाग, तुम पूरी पृथ्वी हो कविता, पकी फसल के बीच, नर्मदा की लहरों से।
गीत-नवगीत-जनवादी गीत संग्रह अंजुरी भर घाम, मुक्ति के शंख, सतपुड़ा के शिखरों से।
कथा-लघुकथा संग्रह वह गन्ध, प्रश्न
बाल साहित्य- फुल्लो की गुड़िया, भारत की अस्र्णाई, पांच पेड़।
संपादित ग्रन्थ भवानी भाई (भवानी प्रसाद मिश्र पर)
समीक्षा कृति नवगीत : स्वरूप विश्लेषण (११७० तक)
पुरस्कार दुष्यंत पुरस्कार, बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार, वागीश्वरी पुरस्कार, आर्यकल्प पुरस्कार
सम्प्रति : हरदा के शासकीय महाविद्यालय से सेवामुक्त होकर यहीं सृजनरत।
माँ की याद
जब भी
पास पड़ोस मोहल्ले में
धोए जाते कपड़े
माँजे जाते पात्र
लीपे जाते मकान
दी जाती
'दूधो नहाओ पूतो फलो' की दुआएँ
मुझे माँ की याद आती
कि तभी
घर से आँगन तक
बह पड़ती नदी
जिसमें नहाकर मिट जाती
जन्म जन्मांतर की थकान।
ममत्व से दूर
बछड़ा दूध पीता
तब तक ही पहचानता माँ को
रँभाते वक़्त भी
यही ध्वनि निकलती कंठ से उसके
बड़ा होते बढ़ने लगते
माथे पर सींग
ममत्व से जो भी दूर जाता
पशुत्व के क़रीब होता
जहाँ पूरी दुनिया ही उसे
अपनी चरागाह लगती है।
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