Monday, June 4, 2007

देवी का वर

आज यह दिलचस्प किस्सा सुनने को मिला। एक मध्यमवर्गीय पचास वर्षीय महाशय अपनी शादी की पच्चीसवी वर्षगांठ एक पप्पू के ढाबे में मना रहे थे । अचानक एक देवी प्रकट होकर बोली , तुम दोनो आदर्श पति पत्नी की तरह रहे हो, तुम पर आज हम प्रसन्न है ,बोलो क्या वर माँगते हो ? दोनो को एक एक वर दे सकती हूँ मैं ।

पत्नी ने कहा : जिन्दगी की जद्दोजहद में हम कभी घूम फिर न सके। मैं तो वर्ड दूर करना चाहती हूँ।
देवी ने कहा तथास्तु और दो वर्ड दूर के पैकेज प्रकट हो गए ।
पति कुछ सकुचाते कुछ अकुलाते कुछ बलखाते बोला " माना कि मैंने पूरी जिन्दगी एक पत्नी व्रत किया , परिवार का भरण पोषण किया । पर अब खुद के लिए कुछ मांगने का समय है तो मैं अब पैतालिस साल की मोटी बीबी के साथ वर्ड दूर पे जाने से रहा । मुझे तो अपने से कम से कम तीस साल छोटी छप्पन छुरी बीबी के साथ वर्ड दूर पर जाना कहूँगा ।

देवी ने कहा तथास्तु

अरे आप क्या सोच रहे हो, यह भी कोई बात हुई । यार ये तो सरासर नाइंसाफ़ी हो गयी उस पतिव्रता स्त्री के साथ । पर जनाब यह क्यों भूलते हैं कि देवी भी स्त्री थी । उसके तथास्तु कहते ही पति झक्क से अस्सी का हुई गवा ।

अब यह तो भारत में ही होता है । विदेश में क्या होता है खुद देखिए ।

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