Thursday, June 7, 2007

जो तुम आ जाते एक बार ।

जो तुम आ जाते

जो तुम आ जाते एक बार ।

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार ।

हंस उठते पल में आद्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार ।

- महादेवी वर्मा

मित्रों यह कविता महादेवी जी कि व्यथा को दर्शाती है वे ज्यादा गोरी तथा सुंदर ना होने के कारन उनके पति उनेह छोड़ कर चले गए थे उन्होने उनके गुणों को ना देखकर उनके बाहरी रुप रंग को देखा इस कविता से उनके दिल का दर्द साफ जाहिर होता है

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